Tuesday, June 10, 2008

" बीता हुआ वक्त "

हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ यादें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लम्हे कह जाता है ,
कहता तोकुछ भी नही ,पर न कहकर भी,
बोहुत कुछ बोल जाता है ।

कभी एक पल मी वो बयां कर जाता है ,
जो शब्दों के जोड़ को पुरा करने मी भी छोटा पड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ उमीदें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लोगो को छोड़ जाता है ।

सिखाता तो कुछ भी नही ,पर एक मिसाल बनकर थम जाता है,
चलकर तो अत नही ,फिर भी जल्द चला जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ खुशिया छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ दुखडे छोड़ जाता है ।

कभी इतनी खुशिया देता है की फूले ने समाती ,
एक झोली भी कम पड़ती है भरने को,
तो कभी इतना तदपा जाता है की ,
एक बूँद लेने को भी तरसता रह जाता है इन्सान ।

ऐसा क्यों होता है ,
ये तो बीता हुआ वक्त ही बता सकता है की,
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है...
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है ... ।।

सोनल...

3 comments:

Unknown said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Unknown said...

I read beeta Hua wakt today.

Sonal u have written so nice.

I wish u all the best

Unknown said...

u write so nice.
http://hariprasadsharma.blogspot.com/