हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ यादें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लम्हे कह जाता है ,
कहता तोकुछ भी नही ,पर न कहकर भी,
बोहुत कुछ बोल जाता है ।
कभी एक पल मी वो बयां कर जाता है ,
जो शब्दों के जोड़ को पुरा करने मी भी छोटा पड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ उमीदें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लोगो को छोड़ जाता है ।
सिखाता तो कुछ भी नही ,पर एक मिसाल बनकर थम जाता है,
चलकर तो अत नही ,फिर भी जल्द चला जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ खुशिया छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ दुखडे छोड़ जाता है ।
कभी इतनी खुशिया देता है की फूले ने समाती ,
एक झोली भी कम पड़ती है भरने को,
तो कभी इतना तदपा जाता है की ,
एक बूँद लेने को भी तरसता रह जाता है इन्सान ।
ऐसा क्यों होता है ,
ये तो बीता हुआ वक्त ही बता सकता है की,
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है...
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है ... ।।
सोनल...
Tuesday, June 10, 2008
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3 comments:
I read beeta Hua wakt today.
Sonal u have written so nice.
I wish u all the best
u write so nice.
http://hariprasadsharma.blogspot.com/
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