Tuesday, June 10, 2008

"माँ"

ज़िंदगी मी आये हम ,
लेकर उसकी पुकार ,
चाहे वो या न चाहे ,
आये हम उसके प्यार के लिए आज ...

पला उसने ,सवार उसने ,
पकड़ कर हमारे हाथो को उसने ,
पल पल मी दिया हमारा साथ ,
सिखाया उसने ,सिखा हमने ,
प्यार करने का एहसास ....

बहने न देती हमारी अश्को से आंसू,
पर ख़ुद ने बहाई गमो की बरसात ।
आदर्श दिया ,सम्मान दिया ,
होता है कैसा जीवन का हर सार ,
यही सिखाती है वो हर बार ...

कभी हसती,कभी रुलाती ,
जीवन की हर सीडी मी देती,
बिना रुके चलने का विश्वास ।
न जाने कौन सी देवी है ,
या फिर है कोई अवतार ।

पर डर है मॅन मी ,डर है दिल मी ,
क्या होगा उसका हाल ,
जिसको न मिल पाया,
इस प्यार भरे रिश्ते का साथ ।

जीना सिखाया उसने हमे ,
फिर कऐसे जा सकती है छोड़कर हमे ,
तोड़कर सरे बंधनों की गांठ ।

चाहा है हमने ,चाहेंगे अब हम ,
देंगे उसको सर्श्रेष्ट समान ,
है ने कोई और वह ,
जिसके जैसा कोई और नही है ,
वो है मेरी माँ...
वो है मेरी माँ... ।।


सोनल...

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