Tuesday, June 10, 2008

" बीता हुआ वक्त "

हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ यादें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लम्हे कह जाता है ,
कहता तोकुछ भी नही ,पर न कहकर भी,
बोहुत कुछ बोल जाता है ।

कभी एक पल मी वो बयां कर जाता है ,
जो शब्दों के जोड़ को पुरा करने मी भी छोटा पड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ उमीदें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लोगो को छोड़ जाता है ।

सिखाता तो कुछ भी नही ,पर एक मिसाल बनकर थम जाता है,
चलकर तो अत नही ,फिर भी जल्द चला जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ खुशिया छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ दुखडे छोड़ जाता है ।

कभी इतनी खुशिया देता है की फूले ने समाती ,
एक झोली भी कम पड़ती है भरने को,
तो कभी इतना तदपा जाता है की ,
एक बूँद लेने को भी तरसता रह जाता है इन्सान ।

ऐसा क्यों होता है ,
ये तो बीता हुआ वक्त ही बता सकता है की,
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है...
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है ... ।।

सोनल...

"माँ"

ज़िंदगी मी आये हम ,
लेकर उसकी पुकार ,
चाहे वो या न चाहे ,
आये हम उसके प्यार के लिए आज ...

पला उसने ,सवार उसने ,
पकड़ कर हमारे हाथो को उसने ,
पल पल मी दिया हमारा साथ ,
सिखाया उसने ,सिखा हमने ,
प्यार करने का एहसास ....

बहने न देती हमारी अश्को से आंसू,
पर ख़ुद ने बहाई गमो की बरसात ।
आदर्श दिया ,सम्मान दिया ,
होता है कैसा जीवन का हर सार ,
यही सिखाती है वो हर बार ...

कभी हसती,कभी रुलाती ,
जीवन की हर सीडी मी देती,
बिना रुके चलने का विश्वास ।
न जाने कौन सी देवी है ,
या फिर है कोई अवतार ।

पर डर है मॅन मी ,डर है दिल मी ,
क्या होगा उसका हाल ,
जिसको न मिल पाया,
इस प्यार भरे रिश्ते का साथ ।

जीना सिखाया उसने हमे ,
फिर कऐसे जा सकती है छोड़कर हमे ,
तोड़कर सरे बंधनों की गांठ ।

चाहा है हमने ,चाहेंगे अब हम ,
देंगे उसको सर्श्रेष्ट समान ,
है ने कोई और वह ,
जिसके जैसा कोई और नही है ,
वो है मेरी माँ...
वो है मेरी माँ... ।।


सोनल...

" तितली "

"फूलों की खुशबू से महकते महकते ,
आई जब तितली बाग़ में ,
हर रंग के फूल मिले,
हर रंग की खुशबू मिली !

कभी बेठी हरे फूलों पर ,
तो कभी बेठी लाल गुलाबो के बीच ,
कुछ पल चेह्की ही नही थी ,
कांटो ने चुभा दिया ,
कुछ पल महकी ही नही थी ,
झरनों ने उड़ा दिया !

आया जब बाग़ का माली ,
उस फूल को जड़ समेत ले गया ,
तितली देखती रह गई ,
कहने लगी माली से ,
फूल तो तू ले गया ,
खुशबू मुघे दे गया !

शुक्रिया करे ,
शियाकत करे ,
ये सोचने लगी तितली ,
साथ ले चालू ,
छोड़ जाऊ यही,
ये सोचने में ,
बीतादी उसने अपनी पुरी ज़िंदगी ...."

सोनल ...

कभी कभी ऐसा वक्त भी आताहै ,

ऐसा एहसास दिला जाता है ,

जो सोचा तो नही होता ,

फिर भी दिल को छूकर चला जाता है ,

बिन मांगे उदासी दे जाता है ,

उमेदें न करके भी ,

उमीदो से जोड़ जाता है ,

जहा जाना होता है कभी कभी ,

वही रास्ते भुला जाता है ...

सोनल...

अगर कल हम न मिल पाए,
अगर कल कही नई दुनिया मे गउम् हो जाए ,
अगर कल का सूरज नज़र न आये,
अगर कल तारे चाँद से न मिल पाए ,
अगर कुछ भी अंजना सा लगने पाए ,
तो समझ लेना कही कोई
बदल सा रहा है ...
या तुम...
या शायद हम...

सोनल...
''जब कोई गम सताए ...
कोई बात दिल को न भाए...
आंखे सागर झलकाऐ ...
याद करके देखना हमे...
क्या पता ,
शायद एक आंसू कम हो जाए...''

सोनल ...

Saturday, June 7, 2008

स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर

स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर ......

सोनल