"फूलों की खुशबू से महकते महकते ,
आई जब तितली बाग़ में ,
हर रंग के फूल मिले,
हर रंग की खुशबू मिली !
कभी बेठी हरे फूलों पर ,
तो कभी बेठी लाल गुलाबो के बीच ,
कुछ पल चेह्की ही नही थी ,
कांटो ने चुभा दिया ,
कुछ पल महकी ही नही थी ,
झरनों ने उड़ा दिया !
आया जब बाग़ का माली ,
उस फूल को जड़ समेत ले गया ,
तितली देखती रह गई ,
कहने लगी माली से ,
फूल तो तू ले गया ,
खुशबू मुघे दे गया !
शुक्रिया करे ,
शियाकत करे ,
ये सोचने लगी तितली ,
साथ ले चालू ,
छोड़ जाऊ यही,
ये सोचने में ,
बीतादी उसने अपनी पुरी ज़िंदगी ...."
सोनल ...
Tuesday, June 10, 2008
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1 comment:
अच्छी कविता है ........बधाई .........लिखती रहो
कवि दीपक गुप्ता
www.kavideepakgupta.com
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