मंजिल भी उसकी थी,
रास्ता भी उसका था ,
एक मै ही अकेली थी ,
काफिला भी उसका था ...
साथ चलने की सोच भी उसकी थी ,
रास्ते बदलने का फ़ैसला भी उसका था...
आज क्यों अकेली हु ,
दिल सवाल करता है ,
लोग तो उसके थे ,
क्या खुदा भी उसका था...
prayas karti raho shubkamnayein
aapki kavitayen padi.achha laga.gahrahi v hai.aap likhte rahen.
निरन्तर प्रयासरत रहें
आज क्यों अकेली हु ,दिल सवाल करता है ,लोग तो उसके थे ,क्या खुदा भी उसका था...wah ! dil yoon hi jab tak sawaal kartaa rahega kavitaa banti rahegi . yahee to zindagi hai anwarat chalte rahnaa . kabhi kisi ka saath to kabhi tanhaa------
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4 comments:
prayas karti raho
shubkamnayein
aapki kavitayen padi.achha laga.gahrahi v hai.aap likhte rahen.
निरन्तर प्रयासरत रहें
आज क्यों अकेली हु ,
दिल सवाल करता है ,
लोग तो उसके थे ,
क्या खुदा भी उसका था...
wah ! dil yoon hi jab tak sawaal kartaa rahega kavitaa banti rahegi . yahee to zindagi hai anwarat chalte rahnaa . kabhi kisi ka saath to kabhi tanhaa------
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