तेरी याद ने मुघे तनहा कर दिया , बिन प्यास के प्यासा कर दिया, फिर भी कहते है वो मुघसे , तेरे एहसास ने मुघे , मोम से शम्मा कर दिया. |
Friday, September 12, 2008
" LIFE"
The word 'life' short to speak, big to think, soft to move along with, hard to be apart against against it, deep to know its value, narrow to live with it, wide to travel in this . three tracks terminates here, past , present and future holds hands together where. |
Tuesday, July 1, 2008
Tuesday, June 10, 2008
" बीता हुआ वक्त "
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ यादें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लम्हे कह जाता है ,
कहता तोकुछ भी नही ,पर न कहकर भी,
बोहुत कुछ बोल जाता है ।
कभी एक पल मी वो बयां कर जाता है ,
जो शब्दों के जोड़ को पुरा करने मी भी छोटा पड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ उमीदें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लोगो को छोड़ जाता है ।
सिखाता तो कुछ भी नही ,पर एक मिसाल बनकर थम जाता है,
चलकर तो अत नही ,फिर भी जल्द चला जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ खुशिया छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ दुखडे छोड़ जाता है ।
कभी इतनी खुशिया देता है की फूले ने समाती ,
एक झोली भी कम पड़ती है भरने को,
तो कभी इतना तदपा जाता है की ,
एक बूँद लेने को भी तरसता रह जाता है इन्सान ।
ऐसा क्यों होता है ,
ये तो बीता हुआ वक्त ही बता सकता है की,
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है...
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है ... ।।
सोनल...
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लम्हे कह जाता है ,
कहता तोकुछ भी नही ,पर न कहकर भी,
बोहुत कुछ बोल जाता है ।
कभी एक पल मी वो बयां कर जाता है ,
जो शब्दों के जोड़ को पुरा करने मी भी छोटा पड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ उमीदें छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ लोगो को छोड़ जाता है ।
सिखाता तो कुछ भी नही ,पर एक मिसाल बनकर थम जाता है,
चलकर तो अत नही ,फिर भी जल्द चला जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ खुशिया छोड़ जाता है ,
हर बीता हुआ वक्त अपने साथ कुछ दुखडे छोड़ जाता है ।
कभी इतनी खुशिया देता है की फूले ने समाती ,
एक झोली भी कम पड़ती है भरने को,
तो कभी इतना तदपा जाता है की ,
एक बूँद लेने को भी तरसता रह जाता है इन्सान ।
ऐसा क्यों होता है ,
ये तो बीता हुआ वक्त ही बता सकता है की,
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है...
क्यों वो अपने साथ कुछ छोड़ जाता है ... ।।
सोनल...
"माँ"
ज़िंदगी मी आये हम ,
लेकर उसकी पुकार ,
चाहे वो या न चाहे ,
आये हम उसके प्यार के लिए आज ...
पला उसने ,सवार उसने ,
पकड़ कर हमारे हाथो को उसने ,
पल पल मी दिया हमारा साथ ,
सिखाया उसने ,सिखा हमने ,
प्यार करने का एहसास ....
बहने न देती हमारी अश्को से आंसू,
पर ख़ुद ने बहाई गमो की बरसात ।
आदर्श दिया ,सम्मान दिया ,
होता है कैसा जीवन का हर सार ,
यही सिखाती है वो हर बार ...
कभी हसती,कभी रुलाती ,
जीवन की हर सीडी मी देती,
बिना रुके चलने का विश्वास ।
न जाने कौन सी देवी है ,
या फिर है कोई अवतार ।
पर डर है मॅन मी ,डर है दिल मी ,
क्या होगा उसका हाल ,
जिसको न मिल पाया,
इस प्यार भरे रिश्ते का साथ ।
जीना सिखाया उसने हमे ,
फिर कऐसे जा सकती है छोड़कर हमे ,
तोड़कर सरे बंधनों की गांठ ।
चाहा है हमने ,चाहेंगे अब हम ,
देंगे उसको सर्श्रेष्ट समान ,
है ने कोई और वह ,
जिसके जैसा कोई और नही है ,
वो है मेरी माँ...
वो है मेरी माँ... ।।
लेकर उसकी पुकार ,
चाहे वो या न चाहे ,
आये हम उसके प्यार के लिए आज ...
पला उसने ,सवार उसने ,
पकड़ कर हमारे हाथो को उसने ,
पल पल मी दिया हमारा साथ ,
सिखाया उसने ,सिखा हमने ,
प्यार करने का एहसास ....
बहने न देती हमारी अश्को से आंसू,
पर ख़ुद ने बहाई गमो की बरसात ।
आदर्श दिया ,सम्मान दिया ,
होता है कैसा जीवन का हर सार ,
यही सिखाती है वो हर बार ...
कभी हसती,कभी रुलाती ,
जीवन की हर सीडी मी देती,
बिना रुके चलने का विश्वास ।
न जाने कौन सी देवी है ,
या फिर है कोई अवतार ।
पर डर है मॅन मी ,डर है दिल मी ,
क्या होगा उसका हाल ,
जिसको न मिल पाया,
इस प्यार भरे रिश्ते का साथ ।
जीना सिखाया उसने हमे ,
फिर कऐसे जा सकती है छोड़कर हमे ,
तोड़कर सरे बंधनों की गांठ ।
चाहा है हमने ,चाहेंगे अब हम ,
देंगे उसको सर्श्रेष्ट समान ,
है ने कोई और वह ,
जिसके जैसा कोई और नही है ,
वो है मेरी माँ...
वो है मेरी माँ... ।।
सोनल...
" तितली "
"फूलों की खुशबू से महकते महकते ,
आई जब तितली बाग़ में ,
हर रंग के फूल मिले,
हर रंग की खुशबू मिली !
कभी बेठी हरे फूलों पर ,
तो कभी बेठी लाल गुलाबो के बीच ,
कुछ पल चेह्की ही नही थी ,
कांटो ने चुभा दिया ,
कुछ पल महकी ही नही थी ,
झरनों ने उड़ा दिया !
आया जब बाग़ का माली ,
उस फूल को जड़ समेत ले गया ,
तितली देखती रह गई ,
कहने लगी माली से ,
फूल तो तू ले गया ,
खुशबू मुघे दे गया !
शुक्रिया करे ,
शियाकत करे ,
ये सोचने लगी तितली ,
साथ ले चालू ,
छोड़ जाऊ यही,
ये सोचने में ,
बीतादी उसने अपनी पुरी ज़िंदगी ...."
सोनल ...
आई जब तितली बाग़ में ,
हर रंग के फूल मिले,
हर रंग की खुशबू मिली !
कभी बेठी हरे फूलों पर ,
तो कभी बेठी लाल गुलाबो के बीच ,
कुछ पल चेह्की ही नही थी ,
कांटो ने चुभा दिया ,
कुछ पल महकी ही नही थी ,
झरनों ने उड़ा दिया !
आया जब बाग़ का माली ,
उस फूल को जड़ समेत ले गया ,
तितली देखती रह गई ,
कहने लगी माली से ,
फूल तो तू ले गया ,
खुशबू मुघे दे गया !
शुक्रिया करे ,
शियाकत करे ,
ये सोचने लगी तितली ,
साथ ले चालू ,
छोड़ जाऊ यही,
ये सोचने में ,
बीतादी उसने अपनी पुरी ज़िंदगी ...."
सोनल ...
Subscribe to:
Posts (Atom)